GST का फुल फॉर्म क्या? और जीएसटी क्या है? – कम्पलीट गाइड

इस आर्टिकल पे हम आपको GST का full form क्या है? GST क्या है? और इसके कितने प्रकार है?

अगर आपको GST का full form नहीं पता तो आप बिलकुल सही जगह पर आये है।

इस आर्टिकल पे हम आपको GST का full form क्या है? GST क्या है? और इसके कितने प्रकार है?

किन लोगों को जीएसटी देना होगा और किसे नहीं, यह सारा चीज़ बिस्तार से बताने जा रहे है।

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GST का फुल फॉर्म क्या? और जीएसटी क्या है?

अगर आप एकविद्यार्थि है तो आपके लिए यह पोस्ट काफी महत्वपूर्ण होने वाला है।

क्योंकि, अक्सर कंपीटीटिव एग्जाम में जीएसटी का फुल फॉर्म क्या होता है? या फिर इससे जुड़े ढेर सारे सवाल पूछे जाते है।

अगर आप इस पोस्ट के आखरी तक पढ़ लेते है, तो मैं आपको बिस्वास देता हूं, जीएसटी से जुड़े कोई भी सवाल क्यों न हो आप उसके जवाब चुटकी देंगे।

और अगर आप कोई स्टूडेंट नहीं है तो भी आपको इसके बारे में जानना चाहिए।

क्योंकि, हम लोग जब भी कोई सामान खरीदने या बेचने जाते है तो सरकार को हमे जीएसटी देना पड़ता है।

तो आइए सुरु करते है सुरुवात से और आपको बताते है GST क्या है और इसका फुल फॉर्म क्या होता है?

आज हम जानेंगे hide

GST का Full Form क्या है – GST Full Form in Hindi:

जीएसटी के बारे में कुछ भी जानने से पहले हमें जानना जरूरी है कि जीएसटी क्या है?

GST क्या है (what is gst in hindi):

इंग्लिश में, GST का फुल फॉर्म है Goods and Services Tax.

और हिंदी में जीएसटी का फुल फॉर्म है बस्तु एवं सेवा कर। इसे इनडाइरेक्ट टैक्स, और कंसम्पशन टैक्स के नाम से भी जाने जाते है।

हम जब किसी उत्पाद की, डिलीवरी या बिक्री करते है तब उस उत्पाद के ऊपर हमे सरकार को जीएसटी के रुप में कर देना पड़ता है।

इसे अछि से समझने के लिए हमे जानना होगा कि इंडिया में टैक्स किस प्रकार से कम करता है।

आइए इसे अछि से समझते है,-

हमारे देश में, टैक्स को दो भागों में बंटा जाता है पहला है, डायरेक्ट टैक्स और दूसरा है इनडाइरेक्ट टैक्स।

डायरेक्ट कर (टैक्स) वे कर है जो सीधा लोगो से लिया जाता है।

इस के अंदर आता है, प्रोपर्टी टैक्स, कारपोरेशन टैक्स, इनहेरिटेंस, गिफ्ट और वेल्थ टैक्स।

और इनडाइरेक्ट टैक्स वे टैक्स है जिसे किसी सेवा या बस्तु के बिक्री या वितरण के ऊपर लगाए जाते है।

इसके के अंदर आता है कस्टम ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एक्साइज टैक्स, सेल्स और VAT टैक्स।

इन दोनों कर में से डायरेक्ट कर की कोई भी बदलाव नहीं हुआ। पहले जैसा था अभी भी वैसे ही है।

परंतु इनडाइरेक्ट टैक्स में हमे जो अलग अलग तरह के टैक्स देना पड़ता था उसमें बदलाव हुआ है।

इनडाइरेक्ट टैक्स के अंदर जितने भी टैक्स थे उन सारे टैक्स को मिलाकर जीएसटी बनाया गया है।

एक तरह से आप जीएसटी को इन सारे कर के मिलित आकर कह सकते है।

जीएसटी आने से पहले क्या होता था, अलग अलग राज्य सामान पर अपने मन मुताबिक टैक्स लगते थे।

इसे एक उदाहरण से समझते है, अगर किसी सामान पर बंगाल में 15 प्रतिशत कर लेता है।

और अगर वही सामान पर ओडिशा सरकार 10 प्रतिशत कर लेगा तो क्या होगा कंपनी वाले बंगाल को छोड़कर ओडिशा के तरफ भागेंगे।

क्योंकि, अगर वे बंगाल में रहगा तो उसे बंगाल सरकार को ज्यादा टैक्स देना होगा।

वही ओडिशा सरकार को ज्यादा कर देने की जरूरत नहीं इससे कंपनी को ज्यादा प्रॉफिट होगा।

इसके अलावा क्या होगा, जिस सामान का कर बंगाल के तुलना में ओडिशा में कम होगा लोग उसे ओडिशा में खरीदना पसंद करेंगे न कि बंगाल में।

क्योंकि, बंगाल में उस सामान का महंगाई तुलनात्मक ज्यादा होगा।

इस प्रॉसेस से बंगाल सरकार को ढेर सारे लॉस उठाना पड़ता था।

और आप तो जानते ही है किसी भी सरकार को चलाने के लिए उसके पैसो का मूल स्रोत होता है टैक्स।

इन सारे प्रक्रियाओं को बैलेंस करने के लिए 1 जुलाई 2017 को केंद्र सरकार द्वारा जीएसटी लाया गया है।

जीएसटी के सारे काम देखभाल करने के लिए जीएसटी कॉउन्सिल  भी बनाया गया है जिसका प्रधान होता है केंद्रीय वित्त मंत्री।

आइये अब जानते है जीएसटी कितने प्रकार के है।

जीएसटी के प्रकार (Types of GST in Hindi):

जीएसटी क्या है यह जानने के बाद हमे जानना होगा कि जीएसटी कितने प्रकार होते है।

मुख्यरूप से जीएसटी को चार भागों में बंटा गया है। जीएसटी के सारे टाइप नीचे बताया गया है।

1. C-GST: CGST का पूरा नाम है Central Goods and Services Tax.

हिंदी में इसका का पूरा नाम है केंद्रीय बस्तु एवं सेवा कर। इस कर में सिर्फ केंद्र सरकार हक होता है।

इसमें, क्या होता है कि आप किसी भी राज्य में बिजनेस क्यों न करें, सेंट्रल को सी-जीएसटी के रूप में कर देना होगा।

 2. S-GST: SGST को कहते है State Goods and Services Tax ( राज्य बस्तु एवं सेवा कर)।

इनमें सिर्फ राज्य का अधिकार है। आप जिस भी राज्य में व्यापार करते है उस राज्य को SGST देना होता है।

इस एक उदाहरण के तर पर समझते है,

मानलीजिए आप मुम्बई में बिजनेस करते है और किसी बस्तु में आपको 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है।

तो क्या होगा, उस 18 प्रतिशत में से केंद्र सरकार सी-जीएसटी के रूप में 9 प्रतिशत ले लेगा और राज्य S-GST के रूप में 9 प्रतिशत लेगा।

3. UT-GST: इसे Union Territory Goods and Services Tax कहते है।

यानी, जितने भी केंद्रशासित राज्य है उनके केस में UT-GST देना पड़ता है।

अगर आप किसी केंद्रशासित राज्य से है तो आपको C-GST के साथ UT-GST देना होगा।

यहां, S-GST देना नहीं होगा क्योंकि, आप राज्य में नहीं है केंद्रशासित राज्य में है।

 4. I-GST: आई-जीएसटी को Integrated Goods and Services Tax के रूप में जाने जाते है।

जब किसी सामान का व्यापार एक राज्य से दूसरे राज्य में होती है तब CGST, SGST, UTGST लागू नहीं होता।

उस केस में आपको सिर्फ आई-जीएसटी देना पड़ता है।

इसमें क्या होता है की, केंद्र सरकार अपने हिस्से रखकर बाकी के हिस्से जिस राज्य में सामान बिका है उस राज्य को दे देता है।

जीएसटी आने से पहले ऐसा नहीं होता था। जिस राज्य में सामान बन रहा है सिर्फ उसी राज्य को टैक्स मिलता था।

लेकिन अभी ऐसा नहीं है। अगर एक ही राज्य में सामान बनकर बिक जाता है तो उस राज्य को जीएसटी कर मिल जाएगा।

परंतु अगर किसी एक राज्य में बनके दूसरे राज्य में बिक रहा है तो उस केस में बिक्री हुआ जिस राज्य पे उस राज्य को कर मिलेगा।

है ना अछि चीज़? इससे सारे राज्य अपने अपने क्षेत्रों को अछि से विकसित कर सकेगा।

यह रहा जीएसटी के प्रकार। आइये अब जानते है कि किन लोगों को जीएसटी देना पड़ेगा।

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किन लोगों को जीएसटी देना है और किन्हें नहीं:

मुख्यरूप से जीएसटी तीन तरह से लिया जाता है। नीचे बिस्तार से बताया गया है।

1. बीस लाख टर्नओवर (20 lakhs turnover): अगर किसी बिजनेस में सालाना बीस लाख रुपिया के व्यापार होते है तब सरकार को जीएसटी देना पड़ेगा।

अगर आप एक ही राज्य में बिजनेस करते है, और आपके छोटा व्यवसाय है

इसमें इतना लेनदेन नहीं होता तो आपको चिंता करने की कोई कारण नहीं आपको जीएसटी नहीं देना पड़ेगा।

2. अंतरराज्यीय व्यापार (Interstate Business): इस केस में आपके कितने बड़ी बिजनेस वे नहीं देखा जाता।

अगर आप एक राज्य से दूसरे राज्य में पांच रुपिया के भी व्यापार करते है तो आपको जीएसटी देना होगा।

3. ऑनलाइन खरीददारी (Online Transaction): अगर आप कभी भी अमेज़न, फ्लिपकार्ट या फिर दूसरे किसी ऑनलाइन प्लेटफार्म में खरीददारी किये है तो देखे होंगे,

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वहां आपको जीएसटी देना पड़ता है। ऐसे ही अगर आप एक रुपिया के भी ऑनलाइन व्यापार करेंगे तो आपको इस कर देना पड़ेगा।

अगर आप इन दोनों कैटेगरी में नहीं आते तो आपको जीएसटी देने की जरूरत नहीं।

जीएसटी में कितने स्लैब है (How many Slab in GST in Hindi):

GST कॉउंसिल ने लगभग 1300 बस्तु और 500 से भी ज्यादा सेवा के ऊपर गिएस्ट कर लगाया है।

जीएसटी कर दर को पांच स्लैब में बंटा गया है जैसे, 0%, 5%, 12%, 18%, और 28%।

1. शून्य प्रतिशत जीएसटी स्लैब दर: रोज़मर्रा ज़िंदगी जीने के लिए जितने सारे सामान है उसमें किसी प्रकार के कर नहीं लिया जाएगा।

इसके दायरे में आते है, फल, सब्जियां, नमक, दूध, दही, प्राकृतिक शहद, रोटी, मछली, मांस, अंडा इत्यादि।

इस कैटेगरी में, कुल वस्तु एवं सेवा के सात प्रतिशत बस्तु रखा गया है।

2. 5% जीएसटी स्लैब दर: इस कैटेगरी में कुल बस्तु के 14 प्रतिशत सामान को रखा गया है।

इसके के अंदर आता है, पैकेज खाद्य सामग्री, मिल्क पाउडर, कोयला, चीनी, चाये, मेडिसिन, केरोसीन, एलपीजी इत्यादि।

 3. 12% जीएसटी स्लैब दर: इस स्लैब में कुल सामान के 17 प्रतिशत सामान रखा गया है।

इस कैटेगरी के दायरे में आता है, घी, माखन, चटनी, सॉस, पैकिंग किया हुआ सूखे फल, बिज़नेस क्लास टिकट, आयुर्वेदिक दवा, मोबाइल फ़ोन, खेल सामग्री इत्यादि।

4. 18% जीएसटी स्लैब दर: इस सेक्शन में सबसे ज्यादा सामग्री को रखा गया है। कुल सामग्री लगभग 43 प्रतिशत।

इसके दायरे आता है, सैनिटरी नैपकिन, चश्मा, बिस्किट, केक, टूथपेस्ट, पास्ता, साबुन, कैमरा, टीवी, मोनिटर, महंगाई जमा जूते इत्यादि।

5. 28 % जीएसटी स्लैब दर: 28 प्रतिशत वाले कैटेगरी में सारे विलासिता बहुल सामान आते है।

जैसे, पानमसाला, बीड़ी, कार, हीटर, वाशिंग मेसिन, सीमेंट, च्युइंग गम सनस्क्रीन, शैम्पू, सुगंधि इत्यादि।

जीएसटी समन्धित कुछ सवाल जवाब

इन सारे सवाल जवाब आप ध्यान से पढ़े इससे आपको और भी नया नया चीज़ जानने को मिलेगा।

1. जीएसटी-इन क्या है?

GST-IN का पूरा नाम है Goods and Services Tax Identification Number.

इसमें पंद्रह डिजिट का संख्या होता है। जिनके पहले दो अक्षर आपके राज्य के कोड नंबर है।

और उसके बाद के 10 डिजिट आपके PAN कार्ड के नंबर होता है।

• अगर एक ही राज्य में व्यापार करे तो कौन सा जीएसटी देना होगा?

अगर आप एक ही राज्य में व्यापार करते है तो आपको S-GST + C-GST देना होगा।

वही केंद्रशासित राज्य के केस में UT-GST + C-GST देना पड़ेगा।

• अगर दूसरे राज्य के साथ व्यापार करे तो कौन सा जीएसटी देना पड़ेगा:

अगर आप दूसरे राज्य के साथ व्यापार करते है तो आपको सिर्फ I-GST देना पड़ेगा।

केंद्र सरकार आई-जीएसटी का आधा अपने पास रखेगा और आधा जिस राज्य में सामान बिका है उस राज्य को देगा।

• जीएसटी कब लागू हुआ है?

2017 साल के 1 जुलाई जीएसटी पहली बाद लागू हुआ है। और पहेली लागू करने वाले राज्य है असम और आखरी में लागू हुआ J&K में।

 • जीएसटी चोरी करेंगे तो क्या होगा?

जीएसटी चोरी करेंगे तो किसी भी ब्यक्ति को पांच साल तक के जेल हो सकता है।

 • कौनसा देश पहले जीएसटी लाया था?

सबसे पहले फ्रांस ने जीएसटी लाया था।

 • हमारे देश मे जीएसटी के कौन सा मॉडल चलता है?

हमारे देश मे कनाडा के जीएसटी मॉडल चलता है।

 • किस के अध्यक्षता में जीएसटी बिल पास हुए था?

2016 को अरुण जेटली के अध्यक्षता में जीएसटी बिल पास हुआ था।

 • कौन से बिल में जीएसटी इंट्रोड्यूस किया गया था?

122 संसोधनी बिल में इसे इंट्रोड्यूस किया गया था।

दोस्तो, आशा करता हूं आज की आर्टिकल पढ़ने के बाद आपको GST का Full form पता चल गया होगा।

मुझे लगता है की GST का फुल फॉर्म क्या है, GST क्या है और जीएसटी कितने प्रकार के है, और इससे समन्धित सारे सवाल के जवाब आपको मिल जाय है।

अगर आप इस पोस्ट से कुछ नया सीखे है तो अपने दोस्तों के साथ फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सएप बगैरह में शेयर जरूर करे।

और हा, आपको इस आर्टिकल से क्या सीखने को मिला यह आप हमें कमेंट बताना न भूले।

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धन्यवाद! मिलते है अगली पोस्ट में.

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